शुक्रवार, 7 जनवरी 2011

बम्बई वाली मौसी की चुदाई

प्रेम सक्सेना 
    प्रिय दोस्तो, मै आज आपसे अपने जीवन की एक सच्ची बात शेयर करना चाहूँगा. इसे चाहे आप एक भूली हुई घटना माने या फिर एक मनोरंजक कहानी. नाम राजीव है तथा मेरी अभी उम्र लगभग 24 साल है. मैं जयपुर का रहने वाला हूँ .आज के 5-6 साल पहले मैं अपनी परीक्षा देकर अपने घरवालो के पास अपने गाँव गया था. मेरा गाँव जयपुर से लगभग 45 किलोमिटर दूर है. गाँव पहुँच के मैं बहुत खुश था . लगभग 1 साल बाद अपनो के बीच पहुँचकर मन बहुत खुश हो रहा था.गाँव मॅ ,मैं बहुत मस्ती करता था. दिनभर दोस्तो के घूमना ,गप्पे मारना और मस्ती करना. अभी 3 महीने पहले ही मेरे बड़े भैया की भी नई     नई शादी हुई थी. भाभी बहुत अच्छी थी.मेरा भी वह बहुत ध्यान रखती थी.मुझे फिल्म देखने का बहुत शौक था.मैं कभी अपने दोस्तो के साथ, तो कभी अपने घर पर लाकर फिल्म देखता था.अभी कुछ दिन हुवे थे की मेरी एक दूर की मौसी जो बॉम्बे रहती थी, वो हमारे यॅन्हा घूमने आई और कुछ दिन रहने के लिए भी. मैने उनके बारे मॅ सुना तो था , पर देखा आज पहली बार ही था.जब मैं उनसे मिला तो वो मुझे थोड़ी देर तक उपर से नीचे तक निहारती रही. फिर अचानक वह मेरे पास आकर मेरे दोनो गालो को अपने हाथो से खेंचते हुवे बोली, तुम बहुत क्यूट हो तुम. और फिर हंसते हुवे वो अंदर चली गई और मैं तो उन्हे देखता ही रहा. रात को खाना खाने के बाद मैं छत के उपर एक बिस्तर पर लेटा -लेटा आसमान मॅ तारो को देख रहा था और उसी द्रिश्य को याद कर रहा था जब मौसी ने मेरे गाल पकड़े थे. हाँलाकि उस वक़्त मुझे ये सब कुछ अजीब लगा, पर अच्छा भी. और लगे भी क्यों ना आख़िर पहली बार किसी लड़की के हाथो ने मुझे छुआ था. वो मेरी मौसी तो थी पर एकदम यंग लड़की. उनकी उम्र 28-29 के आसपास थी .बदन बिल्कुल कोमल था . रंग भी एकदम गौरा था. दिन मैं कई कई बार मैं मौसी को देखकर रोमांचित हो उठता था. मेरी मौसी भी मुझे नज़रे मिलने पर बड़ी स्टाइल से देखती थी. यूँ तो घर में और भी कई थे पर मौसी का प्यार मुझ पर ज़्यादा ही बरस रहा था. अब मै आपको वह बात बताता हूँ ,जिससे मेरी जिंदगी मे बदलाव आया.गर्मियों के दिन थे हम सभी घर के लोग खाना खाने के बाद रात को घर की छत पर ही सोते थे.केवल मेरे भैया-भाभी के अलावा . उस रात भी सब छत पर ही सो रहे थे .ऐसे मॅ रात के करीब 1.30 बजे मुझे अचानक प्यास लगी थी. मै पानी पीने के लिये नीचे आ गया था. मैने रसोई घर मे से फ्रिज मे से पानी की बोतल ली और वापस उपर की और जाने लगा. तभी मुझे कुछ कुसफुसाहट सी सुनाई दी, वह आवाज़े भैया और भाभी के कमरे से आ रही थी.में उनके कमरे के पास जाकर दरवाजे से कान सटा कर सुनने लगा , भाभी- भैया से कह रही थी--- थोड़ा और उपर आओ.रूको एक मिनट , हाँ अब डालो ,हाँ डालो, ज़ोर से डालो.थोड़ा धक्का दो ना, आह ,करो यार, अच्छी तरह से करो..आह मज़ा आ रहा है...... यह सब सुन कर मुझे कुछ अजीब सी फिलिंग होने लगी उनकी बाते सुन कर मुझसे रहा नही गया.अंदर क्या चल रहा है, यह जानने के लिये में उत्सुक था,इसलिए मै उनके कमरे की खिड़की से अंदर झाँकने लगा, किस्मत अच्छी थी की खिड़की खुली हुई थी, और मुझे अन्दर का नज़ारा देखने को मिला.अन्दर जब मैने देखा तो भैया पूरे नंगे होकर भाभी के ऊपर चढ़े हुवे थे और भाभी ने अपनी दोनो टाँगे फैलाकर भैया को अपनी मस्त मस्त बाँहो में जकड़ा हुवा था. और भैया ज़ोर-ज़ोर से भाभी को धक्के दे रहे थे,और भाभी कह रही थी की--हाँ बस इसी तरह करते रहो , मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है, थोड़ा निकल कर सीधा डालो, हाँ अब सही है, अब करो ,ज़ोर से करो बड़ा मज़ा आ रहा है.,आह...आहह...आह्ह्ह्ह.....उहह. भाभी के मुँह से ऐसी मद होश भारी चीखे सुनकर, और अन्दर का नज़ारा देख कर मुझसे रहा नही गया , मुझे कुछ होने लगा, मेरा लिंग अपने आप खड़ा हो गया, तब मैने पानी की बोतल को एक तरफ रख कर अपने हाथ से अपने लिंग की चमड़ी को उपर नीचे करना शुरू किया. ऐसा करने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, धीरे -धीरे मेरी उपर-नीचे करने की ये रफ़्तार बढ़ती गई और अंत मे एक सफेद रंग का द्रव्य लिंग को झटके देता हुवा बाहर निकला और लिंग ढीला पड़ गया. अब मुझे बहुत रिलेक्स महसूस हो रहा था. मै उस द्रव्य को पोंछ रहा था की , तभी, एक हल्की सी हँसी मुझे सुनाई दी. मैने नज़रे उठा कर देखा तो कोई और नही बल्कि मेरी बॉम्बे वाली मौसी खड़ी थी.वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगी. लेकिन मुझे थोड़ी शर्म आई तो मैं बिना कुछ कहे उपर छत पर चला गया और सो गया. सुबह जब आँख खुली तो देखा की घर के सभी सदस्य कुछ तैयारियों मे लगे थे.बाद मैं पता चला की वे सब मेरे चाचा जी के लड़के की सगाई -समारोह मे जाने की तैयारी कर रहे थे. पर मुझे घर की देखभाल के लिये वही रहना था जब सब जाने लगे तो मेरी मम्मी ने मेरे पास आकर कहा- बेटा घर का ध्यान रखना और तुम दोनो बाहर से कुछ लाकर खा लेना.हमे आने मे देर हो जायेगी. जब मैने पूछा की दूसरा कौन है तो मम्मी ने कहा की दूसरी तेरी मौसी है. उसकी तबीयत खराब है इसलिए हम उसे साथ लेकर नही जा रहे है. तुम घर का और मौदी का ध्यान रखना. यह कहकर सब वहाँ से विदा हो गये और घर पर सिर्फ़ मैं और बॉम्बे वाली मौसी ही बचे थे. मैं नहा धोकर बाहर से खाना ले आया . हम दोनो ने खाना खाया और मौसी तो बेडरूम मॅ जाकर सो गई और मैं टी.वी. देखने लग गया.टी.वी. देखते देखते शाम के चार बज चुके थे. मौसी की तबीयत खराब होने की वजह से मैने ही चाय बनाकर पी और पिलाई. तभी पापा का फोन आया की लंबा रास्ता होने की वजह से ,वो लोग लोग लेट हो जाएँगे और कल सुबह ही आ पाएँगे. यह सुनकर मौसी के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान थी वह बिस्तर से उठी, और मेरे पास आकर बैठ गई,और पूछा क्या कर रहे हो? मैं उस वक़्त टी.वी.देख रहा था तो उन्होंने कहा की क्या यार तुम ऐसी फ़िल्मे देखते हो, बोर नही होते क्या, देखो, आज रात को हम लोग खाना खाकर एक ही कमरे मैं सोएंगे. क्योंकि मुझे अकेली सोते डर लगता है,और बॉम्बे से कुछ फ़िल्मे लाई हूँ वही देखेंगे ऐसा कहकर वह उठी और मेरे गाल पकड़कर मेरे होठों पर एक लंबी सी पुच्चि ले ली,और हंसते हुए चली गई. ये मेरे लिए एक नया अनुभव था.मुझे बड़ा मज़ा आया. अब तो मुझे भी रात का ही इंतजार था.मैं अपने काम मे लग गया था.धीरे -धीरे शाम होने लगी,शाम का खाना मौसी ने ही बनाया था. मौसी ने मुझे बड़े प्यार से खाना खिलाया .अब हम खाना खाकर और सारा काम निपटाकर अपने रूम मे चले गये.कमरे मे मौसी ने अपने सूटकेस से एक बैग निकाला और मुझे कहा की इन वी सी डी'स मे से कोई एक चलाकर देखो तब तक मैं थोड़ी देर मे आती हूँ.यह कहकर वह अपना बैग लेकर बाथरूम मे चली गई .मैने जब सी डी लगाई तो फिल्म शुरू हुई. उस फिल्म के शुरुआती द्रिश्य देखकर तो मैं दंग रह गया.फिल्म के नायक और नायिका बिल्कुल नंगे थे और एक दूसरे को चूम रहे थे,फिल्म चलती जा रही थी और मेरा दिल धड़कता जा रहा था. मुझे वापस वैसा ही एहसास हो रहा था ,जैसा भैया और भाभी को देखकर हो रहा था.तभी मौसी ने कमरे मे प्रवेश किया, मैने उन्हे देखा तो देखता ही रह गया.मौसी ने काले रंग की जाली दार नाइटी(जो उनकी छातियों से लेकर घुटनो से उपर तक ही थी),पहन रखी थी.उस नाइटी मे उनका गौरा और कोमल बदन ऐसे झलक रहा था,जैसे अंधेरे मे प्रकाश... मैं तो मौसी को देखता ही जा रहा था, की मौसी धीरे-धीरे चलकर मेरे पास आई,और मेरे सामने खड़ी होकर अपने होठों को मेरे होठों के पास ले आई और चूमने लगी. मैं बड़ा आनंदित हो रहा था,पर अचानक मैं संभला,मैने कहा,मौसी ये सब ग़लत है आप रिश्ते मे मेरी मौसी लगती हो और.......मेरे कुछ कहने से पहले ही मौसी बोल पड़ी,- तुम जो सोच रहे हो ,वो ग़लत है राजीव .अपने दिमाग़ से बाते,और्र मन से ये डर बिल्कुल निकल दो को हम जो कर रहे है वो ग़लत कर रहे है.हम एक दूसरे की ज़रूरत है राजीव.और हाँ ,तुम मुझे अकेले मे सिर्फ़ कामिनी ही कहा करो.और अभी सारी बातो को भूलकर सिर्फ़ मुझे देखो.ऐसा कहकर मौसी ने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद मेरे उपर आकर मुझे चूमने लगी.फिर मैने भी सोचा की जब खुद कुआँ प्यासे के पास आ रहा है तो तो पीने मे क्या बुराई है.यह सोचकर मैने मौसी को अपनी बाँहो मे ज़कड़ लिया.अब हम दोनो ही एक दूसरे मे खो चुके थे.धीरे-धीरे हम दोनो ने ही अपने बदन से सारे कपड़े उतार फेंके, हम दोनो बिल्कुल नंगे थे.मौसी का भरा-भरा ,गौरा ,कोमल बदन देखकर मैं और उत्तेजित हो रहा था ,मैं उसे पाने को लालायित हो रहा था.मैं खड़ा था और मौसी पलंग पर लेटी थी और मुझे अपनी आँखो से गुप्त इशारे कर रही थी.मैने टी.वी. बंद किया और मौसी पर टूट पड़ा. मौसी के गुलाबी होठों को चूसने का मज़ा ही कुछ और था.मौसी ने तो मुझे खुला निमंत्रण दे रखा था.और वो भी मेरा साथ दे रही थी.तभी मौसी बोली.---राजीव आज मैं तुम्हारी हूँ, तुम मेरे साथ जो करना चाहो करलो , मेरा अंग-अंग तुम्हे पाने के लिये तड़प रहा है.मैने जब पहले दिन जब तुम्हे देखा तब ही मन मे ठान लिया था की मैं तुम्हे अपना बनके रहूंगी.ना जाने तुम्हारे अंदर ऐसी कौनसी बात है की मैं तुम्हारी तरफ आकर्षित हो रही हूँ. आज तुम मेरे इस मांसल बदन का भरपूर मज़ा लो.मुझे अपनी रखैल् ,अपनी रंडी समझ कर करो. तभी मैने कहा मैं तो तुम्हे घोड़ी बनाकर करूँगा मेरी जान.......तो मौसी मुस्कुराकर बोली, अरे, मैं तो तेरे लिये घोड़ी क्या कुत्ति भी बनने को तैयार हूँ . वाह मेरी कुत्ति चल टाँगे चौड़ी कर और भौंक.ऐसे कह कर हम दोनो हँसने लग गये. तब मौसी ने कहा ,देख राजीव मैं शुरू करती हूँ ,-तुझे ऐसा मज़ा दूँगी की तू तो मस्त हो जायेगा. फिर करने का मज़ा भी दुगुना आयेगा. यह कहकर कामिनी मौसी ने मेरा लिंग अपने हाथ मे पकड़ लिया और उसे मुँह मे लेकर चूमने लगी.वो चूमती जा रही थी और मैं आनंदित हो रहा था.उसके मुँह से साबड-चुपर की आवाज़ से एक अलग ही मज़ा आ रहा था. वह चुस्ती जा रही थी और मेरे मुँह से अनायास ही ये शब्द निकल रहे थे.......... आह चूस , मज़ा आ रहा है, और चूस साली कुतिया चुस्ती रह ,ज़ोर ज़ोर से चूस ना हराम जादि ,पूरा लेकर चूस..आअहह. सच.....कितना मज़ा आ रहा है.तभी चुसते चुसते मौसी रुकी, अपने बैग से एक तेल की शीशी निकली और हँसती हुई मेरे पास आई.उसे देखकर मैने कहा-साली तू सच मे रंडी तो नही है पूरा जुगाड़ लेकर चलती है,तो वो बोली --अरे नही यार !!! रखना पड़ता है, चलो अब एक काम करो.इस शीशी से हथेली मे तेल लेकर अपने दूसरे हाथ की उंगली को तेल मे पूरा डुबो लो और (धीरे से हंसते हुये ).... उस उंगली को मेरी गांद मे घुसादो ,और दो-तीन उंगली तेल की मेरी गांद मे फिरादो,जब मैने मौसी की गांद मे तेल लगा दिया तो उसने भी अपनी हथेली मे तेल लेकर मेरे लिंग पर मालिश कर दी और बोली- आओ राजीव मे कुत्ति बनती हूँ और तुम मेरी गांद मे अपना लिंग घुसेड दो.देखना बड़ा मज़ा आयेगा,अब जल्दी करो.मौसी के इतना कहते ही मैने अपना काम शुरू कर दिया,जब मैं अपना लिंग मौसी की गांद मे डाल रहा था तो एक पल के लिये वह ज़ोर से चीखी,पर तेल की चिकनाई से लिंग अंदर जाता रहा और मैं भी आगे पीछे होता रहा. सच मे उसकी गांद मे लिंग डालने के बाद ऐसा लग रहा था की किसी ने कोई कठोर पाइप किसी नरम निप्पल मे डाल दी हो.सच बहुत मज़ा आ रहा था.मैं ज़ोर ज़ोर से मौसी की गांद मार रहा था. और मौसी भी मेरा जोश बढ़ा रही थी, वह कह रही थी--आहह..... राजीव जितना दम है उतना दम लगा दो मेरा पूरा शरीर तुम्हारे लिये है, तुम्हारे मोटे-मोटे लिंग से ज़ोर ज़ोर से धक्के मारो ,मार -मार कर मेरी गांद सुजादो, आहह ..... करो राजीव करो ,दिखादो अपनी मर्दानगी इस तुम्हारी प्यारी कुत्ति को ,मैं करता जा रहा था और मौसी कहती जा रही थी .हम दोनो ही मदहोशी मे पागल हो रहे थे.मौसी की कच्चे माँस की नरम गांद मारने का मज़ा ही कुछ और था. वो भी अपनी गांद को पीछे से उठा -उठा कर मेरे पूरा का पूरा ले रही थी और पूरा साथ दे रही थी. धीरे-धीरे मेरी धक्के मारने की रफ़्तार तेज होती जा रही थी.मौसी कह रही थी -वाह राजीव वाह , तुम तो गांद मारने मे एक्सपायर्ट हो,मैने बोला,-चुप रह साली गंदमरी रांड़ , बस कुत्ति बनी रह और गांद मरवाती रह.आह,आह बड़ा मज़ा आ रहा है मेरी रांड़.......अहह......... और तभी मेरी रफ़्तार के साथ मेरा लिंग और कड़ा हो गया, दो-तीन अंतिम झटको के साथ ही मेरा वीर्य बाहर निकल गया,जब मैने अपने सूजे हुए लंड को बाहर निकाला तो मौसी ने फुर्ती से पलट कर उसे चाटना शुरू कर दिया. ऐसा लग रहा था जैसे वह कई दिनो से प्यासी थी.मौसी बोली- आह राजीव सच मज़ा आ गया ,तुम्हारा वीर्य तो बहुत गाढ़ा और टेस्टी है, इसे चाटना बहुत अच्छा लगा.मौसी की ऐसी बाते सुनकर और चाटते देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था , पर, सच कहूँ तो मुझे मौसी को चाटते देख कर , मुँह मे ऊबाक आ रहे थे. मौसी ने मेरे लिंग को पोंछ दिया और कहा चलो राजीव अब सोते है थोड़ी देर बाद मे दूसरा राउंड लेंगे. और इस तरह हम दोनो नंगे ही एक-दूसरे से लिपट कर सो गये. सुबह के 4 बज रहे थे. अचानक मेरी नींद खुली, मैने देखा की मेरे लिंग के साथ कुछ हरकत हो रही है.सामने देखा तो मौसी मेरे लोड्े को चाट रही थी. मैने कहा-क्या कामिनी सुबह -सुबह शुरू हो गई ?, तब मौसी हंस कर बोली ,क्या करूँ रहा नही जा रहा था .चलो न राजीव तुम्हारे घर वाले आ जाय उससे पहले एक बार और करते है. इतना कहकर वा मेरे लोड्े को और ज़ोर -ज़ोर से चूसने लगी. और में भी उत्तेजित होने लगा.फिर मौसी बोली रात को तूने मेरी गांद मारी थी ,चल अब मेरी चूत का मज़ा ले ले. इतना कहकर मौसी ने लेटकर अपनी टाँगे चौड़ी करी और मेरे लंड को अपनी चूत के छिल्को से भिड़ाया.मैने भी जोश मे आकर एक ज़ोर का झटका मारा तो लंड सीधा मलाईदार चिकनी चूत मे घुस गया. लंड के अंदर घुसते ही मौसी तो तड़प उठी .उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी .मौसी बोली - आ राजीव ज़ोर से चोदो ,आज अपनी इस रंडी की प्यास बुझा दो. कितने दिन हो गये ऐसे लंड का स्वाद चखे बिना. चोदो आज ज़ोर-ज़ोर से चोदो.उसकी ऐसी बातो से में भी जोश मे आ रहा था, सो मैने अपने झटको की रफ़्तार और तेज कर दी. में पूरा जोश मे था. में अपने लंड को आयेज-पीछे करके मौसी की चूत मे पेल रहा था. मौसी ने भी मुझे अपनी गौरी जाँघो के बीच मे फँसा रखा था और अपने कूल्हे उठा -उठा कर मेरा जोश बढ़ा रही थी.और कह रही थी चोद ,ज़ोर से चोद अपनी रंडी को, आज मौका मिला है जी भर के कसर निकाल ले, मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दे, फाड़ दे मेरी चूत, फाड़-फाड़ के खून निकाल दे.चोद राजीव चोद. मौसी के मुँह से ऐसी जोश भारी बाते सुनकर मुझे मज़ा आ रहा था.में और जोशीला हो रहा था.आख़िर मे मैने अपनी रफ़्तार बढ़ा कर अपनी मौसी की चूत मे ही पानी छोड़ दिया.मेरी पिचकारी अंदर जाते ही मौसी मचल उठी.और मेरे लोड्े को और लोड्े के पानी को चप-चप करके चाटने लगी. मैं मौसी को देख रहा था और मौसी लोड्ा चाटने मे मस्त थी. तो दोस्तो बॉम्बे वाली मौसी की चुदाई की कहानी. मेरा मानना है की हर स्त्री -पुरुष को चुदाई का मज़ा लेना चाहिये , इसमे केवल सगे रिश्ते -नातो को छोड़कर सबके साथ सेक्स का आनंद लेना चाहिये. आपको ये कहानी कैसी लगी मुझे मेरी mail id -- premsexsena9897515075@gmail.com पर ज़रूर लिखे. और कोई सेवा हो तो भी लिखे . स्त्रियों के लिए मैं हाजिर हूँ. धन्यवाद .

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